Yoga in Hindi

योग अपनी साँसों पर ध्यान देते हुए विभिन्न मुद्राओं में रहने की कला है| परिणामस्वरूप प्रत्येक योगासन का हमारे स्वसन तन्त्र पर विशेष प्रभाव पड़ता है,जिससे हमारा हृदय भी प्रभावित होता है।

निम्नलिखित आसनों के क्रम में हलकी मुद्राओं से शुरुआत करते हुए धीरे धीरे उन आसनों की तरफ आगे बढ़ेंगे जिनमें अधिक सामर्थ्य व् शक्ति की जरुरत होगी।आखिरी मुद्राओं के साथ शरीर शांत व् स्फूर्तिवान हो जाता है।

1. ताड़ासन |Tadasana
ताड़ासन ह्रदय को मजबूती देता है और शरीर में लचीलेपन को बढ़ाता है।

2. वृक्षासन |Vrikshasana
वृक्षासन मन को शांत व् संतुलित करता है ।शांत मन के लिए यह मुद्रा लाभदायक है| इससे ह्रदय की कार्य प्रणाली बेहतर होती है।

3.ऊथिताहस्तपादासन|Utthita Hastapadasana
इस मुद्रा में संतुलन बनाए रखने के लिए अधिक ध्यान व् शक्ति की जरुरत होती है।

4. त्रिकोणासन|Trikonasana
यह खड़े रहकर की जाने वाली ह्रदय को खोलने वाली मुद्रा है।यह मुद्रा हृदयवाहिनी तन्त्र को लाभ पहुँचाती है। गहरी साँस लेने से छाती का फैलाव होता है व् सामर्थ्य में बढ़ोतरी होती है।

5. वीरभद्रासन |Veerabhadrasana
वीरभद्रासन शरीर में संतुलन को बेहतर करता है व् सामर्थ्य बढ़ाता है।यह तनाव को कम करने व् मन को शांत करने के साथ साथ हृदय गति को भी नियंत्रित करता है।

6. उत्कटासन|Utkatasana
इस मुद्रा में आपको स्वसन व् ह्रदय गति में बढ़ोतरी महसूस होगी। इससे ऊष्मा व् शक्ति मिलती है।

7.मार्जारीआसन|Marjariasana
यह मुद्रा कुर्सी आसन के बाद बेहद आरामदायक प्रतीत होती है क्योंकि इससे हृदयगति फिर से सामान्य व् लयबद्ध हो जाती है।

8. अधोमुखोस्वानआसन |Adho Mukho Svanasana
यह मुद्रा विश्राम के लिए उपयोग में लाई जाती है जिससे तंत्रिकाओं को शांति व् ऊर्जा मिलती है।

9. भुजंगासन|Bhujangasana
यह मुद्रा छाती के फैलाव को बढ़ाती है और इसमें सालम्ब भुजंगासन की तुलना में अधिक शक्ति व् सामर्थ्य की जरुरत होती है।

10. धनुरासन|Dhanurasana
पूरे शरीर को गहरा खिंचाव प्रदान करने वाला धनुरासन हृदय क्षेत्र को मजबूती देता है।

11. सेतुबंधासन |Setu Bandhasana
धनुरासन कि तुलना में यह मुद्रा आसान होती है। सेतुबंधआसन गहरी साँस लेने में मदद करता है, छाती के हिस्से में फैलाव व् रक्त संचार को बढ़ाता है।

12. सालंब सर्वांगासन |Salamba Sarvangasana
कंधो के सहारे खड़े होने पर यह परानुकमपी तन्त्रिका तन्त्र को उतेजित करता है और छातीमें फैलाव लाता है।विश्राम देने के साथ साथ यह मुद्रा ऊर्जावान भी बनाती है।

13. अर्धमत्सेन्द्रासन|Ardha Matsyendrasana
बैठे हुए रीढ़ को आधा मोड़ना पूरे मेरुदंड के लिए काफी लाभदायक है| इससे छाती में फैलाव उत्पन्न होता है।

14.पश्चिमोतानासन| Paschimottanasana
बैठकर आगे की ओर झुकने से सिर ह्रदय से नीचे आ जाता है, जिससे हृदयगति व् स्वसनगति में कमी आने से विश्राम मिलता है।

15. दंडासन |Dandasana
उपरोक्त सभी मुद्राओं के विपरीत इस मुद्रा में पीठ को मजबूती मिलती है व् कन्धों और छाती को फैलाव मिलता है।

16. अर्धपिंचमयूरासन|Dolphin pose
यह अधो मुखो स्वान आसन से अधिक कठिन है ।इससे सामर्थ्य में बढ़ोतरी होती है व् शरीर के ऊपरी भाग को मजबूती मिलती है ताकि हृदय को लाभ पहुचानेवाली मुद्राएँ की जा सके।

17. मकर अधोमुखशवासन |Dolphin Plank pose
मकर अधो मुखशवासन से हृदय की पम्पिंग नियमित होती है।

18. सालंब भुजंगासन |Sphinx pose
इसमें रीढ़ की हड्डी थोड़ी से मुड़ती है जिससे छाती खुलती है व् फेफड़ों और कन्धों में खिंचाव होता है।

19. शवासन |Shavasana
सभी योग मुद्राओं के बाद शवासन से गहरा विश्राम मिलता है| इससे शरीर व् स्वांस में सूक्ष्म परिवर्तन आते हैं जो पूर्ण स्वास्थय के लिए बेहद जरूरी है।

20. अंजुली मुद्रा |Anjali Mudra
यह मुद्रा हृदय को खोलने, मस्तिष्क को शांत रखने के साथ ही तनाव व् व्याकुलता को कम करती है।
यह शरीर को प्राणायाम व् ध्यान के लिए बेहतर तैयार करती है।